पिछ्ले हफ्ते एक महीने से ज्यादा समय के बाद लिखना शुरु किया.इस बार सारी पोस्टें नये पते पर पोस्ट की गयी. कुछ लोग जो मेरे इस ब्लॉग पर रैगुलर आते थे वो वहाँ नहीं पहुंच पाये.जैसे अभय जी , अजदक जी , ज्ञान जी , फुरसतिया जी (जो दिल्ली आ के जोश दिला के गये थे),मैथिली जी , नीलिमा जी ,सुजाता जी और भी बहुत लोग.पंगेबाज तो कोई बहुत बड़े पंगे की योजना के लिये ट्रेनिंग ले रहे हैं.उन सभी की जानकारी के लिये पिछ्ले हफ्ते की पोस्टों की सूचना यहां भी दे रहा हूँ.
हिन्दी की सेवा का मेवा : एक हिन्दी सेवक की कहानी. (हास्य व्यंग्य)
कैसे कमायें लाखों….हिन्दी सेवा से : सेवन स्टेप्स फॉर चर्निंग मनी थ्रू हिन्दी सेवा’ (हास्य व्यंग्य)
गणेश जी को प्रार्थना पत्र : चूहों की शिकायत गणेश जी से.(हास्य व्यंग्य)
ब्लॉगिंग में विमर्श:मन के प्रश्न !! : कुछ कुछ सत्संग टाइप
घूस खायें सैंया हमारे : पड़ोस के झा जी को उपदेश (हास्य व्यंग्य)
वह जो आदमी है न : हरिशंकर परसाई : परसाई जी की प्रसिद्ध रचना
अब प्रयास यही रहेगा कि हर हफ्ते कम से कम दो पोस्ट तो डाल ही दी जायें. आपकी टिप्पणीयां जरूर उत्साहवर्धन करेंगी.
सितम्बर 23, 2007 at 4:10 अपराह्न
थोड़ा सा उत्साहवर्धन में हमारा भी योगदान स्विकारें. शुभकामनायें.