क्या आपको मालूम है आप अपने घर में अब योगाभ्यास नहीं कर सकते ? क्योंकि यदि आप योगाभ्यास करेंगे तो आपको श्री विक्रम चौधरी जी को पैसे देने पड़ेंगे…..क़्योकि योग का आविष्कार भले ही उन्होने न किया हो योग का पेटेंट उनके नाम जरूर है.

आज सुबह जब उठा तो सोचा बहुत मोटे हो रहे हैं थोड़ा योगाभ्यास कर लें.हम बचपन से ही योग (योगा नहीं) करते रहे हैं-ये रामदेव जी के आस्था में आने से बहुत पहले की बात है-पर पिछ्ले 6-7 सालों में धीरे धीरे योग और व्यायाम घटते गया और वजन बढ़ता गया.आज जब पार्क में योग करने गये तो एक मित्र मिल गये और उन्होने बताया कि अब भविष्य में इस तरह से योगाभ्यास करना या किसी को सिखाना मँहगा पड़ सकता है.

समाचार ये है कि ..कलकत्ता में जन्मे ,अमरीका के वेवरले हिल्स में रहने वाले, जाने माने योग विशेषज्ञ
श्री विक्रम चौधरी ने योग का पेटेंट अपने नाम करने का आवेदन दिया है. शायद आपको पता हो कुछ समय पहले हल्दी और बासमती के पेटेंट के लिये भी आवेदन दिये गये थे.

कौन हैं ये विक्रम चौधरी …और क्या है उनका पेटेंट …?

विक्रम चौधरी ने अपना पहला योग स्कूल 1973 में सैन फ्रेंसिस्को में खोला था और आज उनके पूरी विश्व भर में 900 से ज्यादा ऎसे स्कूल चल रहे हैं .उनके शिष्यों में मैडोना और सेरेना विलियम्स भी शामिल हैं. अमरीका में योग व्यवसाय खूब फल फूल रहा है और इस व्यवसाय में विक्रम योग स्कूल का अग्रणी नाम है . एक अनुमान के अनुसार अमरीका में योग सालाना 25 अरब डॉलर का व्यापार करता है.

अमरीकी पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय ने 150 योग संबंधित कॉपीराइट और 2315 योग ट्रेडमार्क आबंटित किये है. इसका मतलब उन योग क्रियाओं का प्रयोग,बिना किसी को पैसा दिये करना अवैध माना जायेगा.

विक्रम चौधरी का कहना है कि उन्होने सिर्फ 26 ऎसे योगक्रियाओं को पेटेंट करवाया है जो यदि उसी क्रम में की जायें तो व्यक्ति को बहुत लाभ पहुंचाती हैं. उनका कहना है कि इन क्रियाओं को कोई भी, इसी क्रम में या किसी और क्रम में भी,किसी को नहीं सिखा सकता.यदि कोई सिखाना ही चाहे तो उसे 1500 डॉलर दे के चौधरी जी के इंस्टीट्यूट से इसकी ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी. इतना ही नहीं इसके बाद उसे चौधरी जी का फ्रेंचाइजी बनना पड़ेगा और नियमित पैसा देना पड़ेगा.

भारत की बौद्धिक संपत्ति का दूसरे देशों,विशेषकर अमरीका में, इस तरह का उपयोग कहाँ तक उचित है ??